Indian Constitution
भारत में संविधान सभा के गठन का विचार वर्ष 1934 में पहली बार एमएन राय ने रखा था एमएन राय भारत में वामपंथी आंदोलन के प्रमुख नेता थे । 1935 मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पहली बार भारत के संविधान के निर्माण के लिए आधिकारिक रूप से संविधान सभा के गठन की मांग की इसके बाद 1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से पंडित जवाहरलाल नेहरू ने घोषणा की कि स्वतंत्र भारत के संविधान का निर्माण वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनी गई संविधान सभा द्वारा किया जाएगा और इसमें कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं होगा।
इस प्रकार भारत के अपनी संविधान हो इसके लिए 1950 तक देश के तमाम देश प्रेमियों ने संविधान निर्माण के लिए प्रयास किए ।
संविधान सभा की कार्यप्रणाली
9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक हुई जिसमें 211 सदस्य ने हिस्सा लिया और डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा को इस सभा का अस्थाई अध्यक्ष चुना बाद में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुए और डॉक्टर एचसी मुखर्जी एवं टीटी कृष्णमाचारी सभा के उपाध्यक्ष चुने गए।
उद्देश्य प्रस्ताव
13 दिसंबर 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा में ऐतिहासिक उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया जिसमें संविधान के संवैधानिक संरचना के ढांचा एवं दर्शन की झलक प्रस्तुत की गई।
एक लंबी चर्चा के पश्चात इस प्रस्ताव को 22 जनवरी 1946 को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया और संविधान के स्वरूप को काफी हद तक परिवर्तित कर संविधान की प्रस्तावना बनाया गया।
इस बीच हुए महत्वपूर्ण कार्य
संविधान निर्माण आराम कानून को लागू करने के अलावा संविधान सभा ने कई महत्वपूर्ण कार्य भी किए जैसे-
1. मई 1949 में राष्ट्रमंडल में भारत की सदस्यता का सत्यापन हुआ।
2. 22 जुलाई 1947 को राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया गया।
3. 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गान को अपनाया गया।
4. 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गीत को अपनाया गया।
5. 24 जनवरी 1950 को डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में चुने गए।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने संविधान सभा में 4 नवंबर 1948 को संविधान का अंतिम प्रारूप पेश किया और इस बार संविधान पहली बार पढ़ा गया और 5 दिनों तक यह चर्चा हुई।
इसके बाद दूसरी चर्चा 15 नवंबर 1948 को हुआ।
फिर तीसरी चर्चा 14 नवंबर 1949 को शुरू हुआ।
अंततः 26 नवंबर 1949 को संविधान के प्रारूप को पारित कर दिया गया जिसमें 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थी।
इस प्रकार 2 साल 11 माह और 18 दिनों में संविधान सभा के कुल 11 बैठकें हुई और संविधान निर्माताओं ने 60 देशों के संविधान ओं का अवलोकन किया और इसके प्रारूप पर 114 दिनों तक विचार करके कुल ₹64 लाख खर्च करके 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा की अंतिम बैठक हुई।
इस प्रकार 26 नवंबर 1949 को अपनाए गए संविधान के इस प्रस्तावना में कुछ अन्य प्रावधान भी जोड़े गए और शेष प्रधानों को 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया इस दिन को संविधान की शुरुआत के दिन के रूप में माना जाता है और इसी दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन को संविधान की शुरुआत के रूप में इसलिए चुना गया क्योंकि इसका अपना एक ऐतिहासिक महत्व है इसी दिन 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पारित हुए संकल्प के आधार पर पूर्ण स्वराज अपनाया गया था।