Rudolf Weigl biography in Hindi : कौन है रुडोल्फ विगल, क्यों है चर्चा में क्या है, इनकी भूमिका वैक्सीन निर्माण में

* " ज्ञान की बात " *
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कौन है रुडोल्फ विगल क्यों है चर्चा में Who is Rudolf Wigel and why is it in discussion

बीसवीं सदी में जब दुनिया टायफस नामक महामारी से जूझ रहा था ऐसे महामारी के दौर में जिस वैज्ञानिक ने, जिस डॉक्टर ने, जिस जूलॉजिस्ट ने इस समय इस महामारी के लिए टीका बनाया और दुनिया में कितनों की जान बचाई उसका अंदाजा आप लगा सकते हैं। ऐसे महान पुरुष का आज गूगल में डूडल लगाकर उन्हें सम्मानित किया है उनके 138वीं जन्मदिवस पर।

Rudolf Weigl biography in Hindi रुडोल्फ वीगल जीवनी हिंदी में

आज दुनिया जब कोरोनावायरस से जूझ रही है तो इस भयानक महामारी को देखकर हम वैक्सीन के महत्व को समझ ही सकते हैं। आज गूगल ने ऐसे ही बीसवीं सदी के महामारी टायफस के लिए तैयार किए गए वैक्सीन जिन के अविष्कारक रूडोल्फ विगल डूडल बनाकर उनके 138वी जन्मदिवस पर उन्हें याद किया है।

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रुडोल्फ विगल का जन्म 2 सितंबर 1883 को मोराविया के परेरोव में हुआ था जो उस समय आस्ट्रो इंगेरियान साम्राज्य का हिस्सा था। उनके माता-पिता ऑस्ट्रियन जर्मन थे। बचपन में ही उनके पिता साइकल दुर्घटना में चले गए और उनकी माता एलिजाबेथ क्रॉयसेंट पोलिश जोजे़फ ट्रोजनर हाई स्कूल के प्रोफेसर  के साथ विवाह कर लिया। इसके बाद विगल जर्मन होने के साथ-साथ पोलिश भाषा और संस्कृति को भी अपनाया।

रुडोल्फ विगल वैक्सीन बनाने की शुरुआत कब की When did the vaccine start making rudolf weigl

 रुडोल्फ वीगल ने ल्वो विश्वविद्यालय से 1907 में स्नातक उपाधि हासिल की इसके बाद जूलॉजी में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की और प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उन्हें सेना में शामिल किया गया जहां उन्होंने टायफस  के टीका बनाने का प्रयास शुरू किया। हजारों की जान इस टाइफस बीमारी ने ली , जिन्हें बचाने में उनका वैक्सीन महत्वपूर्ण भूमिका निभाया।

1909 में उन्हें पता चला कि यह टायफस लाइसके वजह से होता है तब उन्होंने उसी पर अपने काम  को आगे बढाया और उस बैक्ट्रिया कि खोज कि जिससे पेट में संक्रमण होता है इस प्रकार अपने बुलंद इरादों से 1918 तक इस वैक्सीन को तैयार करके जानवरों और वालेंटियर इंसानों पर ट्रायल शुरू किया इसके बाद लगातार लगभग 15 साल तक कड़ी मेहनत करके 1933 तक इस  वैक्सीन को बड़े पैमाने पर बनाया और खुद को इस  वैक्सीन से  टायफस  नामक बीमारी से सुरक्षित किया। और इस प्रकार 1943 तक पूरी दुनिया में  उनके वैक्सीन का उपयोग होने लगा 


इसलिए भी जाने जाते हैं रुडोल्फ विगल Also known as Rudolf Weigl

 सन 1939 द्वितीय विश्व युद्ध का समय था जब जब जर्मनी ने पोलैंड पर कब्जा कर लिया था तब भी रूडोल्फ ने अपना शोध कार्य जारी रखा और वैक्सीन की उत्पादन को करते रहे। इस बीच बहुत सारे अपने यहूदी साथियों को भी अपने लैब में भर्ती कराया और और नाजिया से सुरक्षा की और उनकी वैक्सीन की तस्करी भी की गई और यहूदियों को वैक्सीन भी लगाई गई।



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