अवनी लखेरा का जीवन परिचय : कैसे बनी भारत कि पहली महिला पैरालंपिक्स गोल्ड मेडलिस्ट है

* " ज्ञान की बात " *
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अवनी लखेरा का जीवन परिचय इन हिंदी ( Avni Lakhera Biography in hindi )

कौन है भारत कि पहली महिला पैरालंपिक्स गोल्ड मेडलिस्ट है 

भारतीय पैरालंपिक निशानेबाज अवनी लखेरा राजस्थान के जयपुर की रहने वाली है। इनके पिता का नाम प्रवीण लखेरा तथा माता का नाम श्वेता लखेरा है। इनके पिता राजस्व विभाग में आर एस एस के पद पर कार्यरत थे जयपुर के गंगानगर नामक जगह में। अवनी 2012 में एक हादसे का शिकार हो गई उस समय अवनी की उम्र महज  12 वर्ष थी जब वह अपने पिताजी के साथ जयपुर से धौलपुर जा रहा थी .उस समय उनका एक्सीडेंट हो गया जिसमें पिताजी को कुछ नहीं हुआ पर अवनी लखेरा की रीड की हड्डी टूट गई महज 11 वर्ष की उम्र में व्हीलचेयर से जीवन यापन करने का शिकार हो गया फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और इस दौरान उन्होंने अभिनव बिंद्रा के बारे में पढ़ी और उन्हें अपना प्रेरणास्रोत मानकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित हुई और अथक प्रयास के बाद टोक्यो पैरा ओलंपिक 2021,में  10 मीटर एयर राइफल क्लास sh1 में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया और दुनिया में भारत का नाम रोशन कर दिया।

अवनी लाखेरा का जन्म 8 नवम्बर 2001 को हुई थी 

अवनी लखेरा की उपलब्धि ( Achievement of Avani Lakhera )


महज 19 वर्ष की उम्र में अवनी लखेरा ने 2020 टोक्यो पैरालंपिक्स में इतिहास रच दिया और भारत को गोल्ड मेडल दिलाया। अवनी लखेरा ने 249.6 के स्कोर बोर्ड को अपने नाम किया और चीन के झांग कुइपिंग और यूक्रेन की एरियाना शेतनिक से पहला मुकाबला मुकाबला था जिसमें अनिल लखेरा ने गोल्ड मेडल जीता और यूक्रेन की इलियाना शेतनिक ने कांस्य पदक जीता।

अवनी लखेरा कैसे आई निशानेबाज के क्षेत्र में ( How did Avani Lakhera enter the field of shooter? )


अवनि के पिता बताते है कि महज 12 वर्ष की आयु में जब जब अपने पिता जी के साथ जयपुर से धौलपुर जा रहा थी,


तब हुई सड़क हादसे में व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ा और इतनी कम उम्र में इतना बड़ा हदसे का शिकार होना पड़ा जिससे वह बहुत खिन्न हो गई अपने जीवन से और 5 माह तक हॉस्पिटल में रहना पड़ा फिर घर आने बाद अपने आपको  कमरे में बंद कर दी और बहुत समझाने के बाद समझी और उनके पिता जी ने अभिनव बिंद्रा के बारे बताया और उनके लाइफ स्ट्रागल प्रेरित होकर मेहनत अपने पास के ही जहाँ प्रक्टिस करना शुरुआत कि और भारत को टोक्यो पैरालंपिक्स में गोल्ड मेडल दिलाई । और वह भारत कि पहली महिला पैरालंपिक्स गोल्ड मेडलिस्ट है  




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