Biography of Dr Sarvepalli Radhakrishnan in hindi : 5 सितंबर शिक्षक दिवस ( Teacher Day ) डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में जाने क्या था शिक्षा के क्षेत्र में योगदान
सितंबर 03, 2021
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय ( Biography of Dr Sarvepalli Radhakrishnan In Hindi )
स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति दूसरे राष्ट्रपति के तौर पर डॉक्टर राधाकृष्णन सर्वपल्ली का नाम भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है। डॉक्टर राधाकृष्णन सर्वपल्ली भारत के प्रसिद्ध शिक्षक के साथ-साथ दर्शनशास्त्र का भी बहुत ज्ञान रखते थे। इसके अलावा भारतीय दर्शनशास्त्र में पश्चिमी सोच की शुरुआत भी डॉक्टर राधाकृष्णन सर्वपल्ली ने की थी। यही वजह है कि प्रतिवर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में उन्हें याद करके मनाया जाता है बीसवीं सदी के विद्वानों में उनका नाम सबसे ऊपर है। राधाकृष्णन सर्वपल्ली भारत और पश्चिमी क्षेत्रों में हिंदू धर्म को फैलाने का प्रयास किया उनका व्यक्तिगत का सोच था दोनों सभ्यता को आपस में मिलाना चाहते थे ।
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जीवन परिचय ( Dr. Sarvepalli Radhakrishnan's biography in Hindi )
- पूरा नाम - डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन
- धर्म - हिंदू
- जन्म - 5 सितंबर 1888
- जन्म स्थान - तिरूमनी गांव मद्रास
- माता-पिता - सीताम्मा सर्वपल्ली वीरास्वामी
- विवाह - शिवाकुम ( 1904 )
- बच्चे - 5 बेटियां और एक बेटा
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की शिक्षा ( Education of Dr Sarvepalli Radhakrishnan )
जैसे कि डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक छोटे से गांव में थे शुरुआती शिक्षा गांव में ही हुई आगे की शिक्षा के लिए उनके पिताजी ने क्रिश्चियन मिशनरी स्कूल में तिरुपति में था एडमिट किए। जहां वें 1896 से 1900 तक रहे।इसके बाद सन 1900 वेल्लूर के कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की। आगे की पढ़ाई मद्रास से पूरी की। डॉक्टर सर्वपल्ली बचपन से ही मेधावी छात्र थे।इसके बाद 1906 में दर्शन शास्त्र में एमए किये। तत्पश्चात राधाकृष्णन को अपने पूरे जीवन में शिक्षा के क्षेत्र में स्कॉलरशिप मिलती रहे।
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान ( Contribution of Dr Sarvepalli Radhakrishnan in the field of education )
1906 में डॉक्टर सर्वपल्ली को मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र का अध्यापक बनाया गया इसके बाद 1916 में इसी कॉलेज के दर्शनशास्त्र के सहायक अध्यापक बने। इसके बाद 1918 में मैसूर यूनिवर्सिटी के द्वारा दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर के रूप में चयनित किया गया। तत्पश्चात में इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में भारतीय दर्शनशास्त्र के शिक्षक बनाए गए। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षा को विशेष महत्व देते थे। डॉक्टर सर्वपल्ली जिस कॉलेज में M.A किए थे उसी कॉलेज के उप कुलपति के रूप में चुने गए किंतु 1 वर्ष के बाद उसे छोड़कर बनारस विश्वविद्यालय में उप कुलपति बने इसी दौरान उन्होंने दर्शनशास्त्र के बहुत से पुस्तकें भी लिखे थे। स्वामी विवेकानंद और वीर सावरकर को अपना आदर्श मानते हैं के बारे में अध्ययन कर रखा था।
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर ( Political Journey of Dr Sarvepalli Radhakrishnan )
भारत जिस समय आजाद हुआ उसी समय पंडित जवाहरलाल नेहरू ने डॉक्टर सर्वपल्ली जी से आग्रह किया कि वह विशेष राजदूत के रूप में सोवियत संघ के साथ राजनीतिक कार्यों की पूर्ति करें नेहरू जी के बात को सर्व पल्ली ने माना 1947 से 1949 तक संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य के रूप में कार्य किए। और इस तरह से डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने राजनीतिक में अपना पहला कदम रखे।
इसके बाद 13 मई 1952 से 13 मई 1962 तक देश के उपराष्ट्रपति रहे 13 मई 1962 को ही उन्हें भारत के राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए।
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को इन सम्मानों और अवार्ड से भी सम्मानित किए गए थे ( Dr Sarvepalli Radhakrishnan was also honored with these honors and awards )
- शिक्षा और राजनीति में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को सन 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
- इंग्लैंड सरकार द्वारा सर्वपल्ली जी को गोल्डन स्पर भेंट किया गया।
- 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में उनके जन्म दिवस को मनाने की घोषणा सन 1962 में किया गया।
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मृत्युं ( Death of Dr Sarvepalli Radhakrishnan )
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का निधन 17 अप्रैल 1975 को एक बीमारी के कारण हुआ।शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाता है आज इसीलिए प्रतिवर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मना कर डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के प्रति सम्मान को व्यक्त किया जाता है इस देश के विख्यात और उत्कृष्ट शिक्षकों को उनके योगदान के लिए पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।
अमेरिका में इस सम्मान को धर्म के क्षेत्र में दिया जाता है इस पुरस्कार को प्राप्त करने प्रथम गैर ईसाई संप्रदाय के व्यक्ति थे।
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बहुत सारे अनमोल वचन है जैसे वें कहते थे - कि धर्म के के बिना इंसान, बिना लगाम के घोड़े की तरह होती है।