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डॉ.आंबेडकर जयंती 2022 : डॉ. B.R आंबेडकर का जीवन परिचय | डॉ. B.R आंबेडकर पर निबंध लेखन | डॉ. B.R आंबेडकर का जीवन परिचय इन हिंदी

 

डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जीवन परिचय ( Dr. Babasaheb Ambedkar Biography)

भारत रत्न से सम्मानित डॉ.भीमराव रामजी आंबेडकर, डॉ.बाबा साहब आंबेडकर और भारतीय संविधान के जनक  के नाम से भारत में प्रसिद्ध है भारत के बहुचर्चित अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक के रूप में भारत में अपनी बहुत ही लोकप्रिय छवि बनाने वाले ऐसे महान नेता के जीवन परिचय के बारे में इस आर्टिकल में बात करेंगे। बाबा साहब आंबेडकर किसी परिचय के मोहताज नहीं है कौन नहीं जानता उनके बारे में फिर भी इस आर्टिकल में हम उनके कुछ छोटे - बड़े योगदान के बारे में बात करेंगे।जो भारत के संविधान और भारतीय समाज में रहा है।

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डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जीवन परिचय-

डॉ. बाबा साहब आंबेडकर  जी का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के महू जिले में हुआ था। और इन्ही के जन्म दिवस को आंबेडकर जयंती ( डॉ.आंबेडकर जयंती 2022 ) के नाम से जाना जाता है और इस दिन पुरे देश में राष्ट्रीय अवकाश रखा जाता है। इनके पिता जी का नाम रामजी वल्द मालोजी सकपाल जो महू में मेजर सूबेदार थे। इनकी माता जी का नाम भीमा सकपाल थी।आंबेडकर के पिता जी कबीर पंथी थे और महार जाति ( अंबेडकर की कास्ट क्या है) की होने के कारण आंबेडकर के साथ बचपन से ही भेदभाव शुरू हो गया था जिस कारण इन्हें प्रारंभिक शिक्षा लेने में भी कठिनाई पड़ा इसके बावजूद भी ना केवल उच्च शिक्षा प्राप्त की बल्कि स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री भी बने और संविधान का निर्माण किया। और आंबेडकर जी का परिवार मुख्य रूप से मराठी था और वे मूल रूप से महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के एक आंबडवेकर गांव के रहने वाले थे। तब आगे जाकर उन्होंने अपनी स्कूल में अपना उपनाम गांव के नाम के आधार पर आंबडवेकर लिखवाया। लेकिन स्कूल के शिक्षक ने आंबडवेकर को आंबेडकर लिख दिया। तब से आंबेडकर जी का उपनाम आंबेडकर हो गया है ।


डॉ बाबासाहेब आंबेडकर का प्रारंभिक शिक्षा -

डॉ बाबासाहेब आंबेडकर बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। और इनकी प्रारंभिक शिक्षा सतारा में हुई। सातारा नगर में स्थित यह स्कूल राजवाड़ा चौक पर है जो गवर्नमेंट हाई स्कूल है जिसका नाम प्रताप सिंह हाई स्कूल और आंबेडकर जी 7 नवंबर सन उन्नीस सौ को अंग्रेजी की पहली कक्षा में प्रवेश लिए इस प्रकार आंबेडकर जी के जीवन में शैक्षिक जीवन का आरंभ हुआ। और इसीलिए 7 नवंबर को महाराष्ट्र में प्रतिवर्ष "  विद्यार्थी दिवस " मनाया जाता है।

डॉक्टर आंबेडकर की माध्यमिक शिक्षा ( Dr. Ambedkar's Secondary Education )-

1887 में जब आंबेडकर का पूरा परिवार मुंबई चला जाता है, तो आगे की पढ़ाई डॉक्टर बी आर आंबेडकर की माध्यमिक शिक्षा मुंबई के एलफिंस्टन रोड पर स्थित एक सरकारी स्कूल में हुई।

डॉ बाबासाहेब आंबेडकर का उच्च स्तरीय ( स्नातक ) पढ़ाई ( Dr. Babasaheb Ambedkar's high level education )

डॉक्टर बी आर आंबेडकर आगे की पढ़ाई के लिए 1907 में अपनी मैट्रिक परीक्षा पास करके एलफिंस्टन कॉलेज में एडमिट हुए और कॉलेज बॉम्बे यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त था। आंबेडकर जी इस स्नातक स्तर का शिक्षा प्राप्त करने वाले अपने समुदाय से एकमात्र व्यक्ति थे। इसके बाद 1912 में से अर्थ शास्त्र और राजनीति विज्ञान में बीए की शिक्षा प्राप्त किये 

डॉ बाबासाहेब आंबेडकर का स्नातकोत्तर पढ़ाई ( Dr. Babasaheb Ambedkar's postgraduate studies )-

डॉ बाबासाहेब आंबेडकर अपनी स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए जब वे 22 ( 1913 ) वर्ष के थे। और संयुक्त राज्य अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी ( जो न्यूयार्क में स्थित है ) से एम. ए. में स्नातकोत्तर पास किये है, जिसमे प्रमुख विषय अर्थशास्त्र था इसके अलावा कुछ अन्य विषय जो उनके स्नातकोत्तर के विषय है, समाजशास्त्र, दर्शनशाश्त्र,इतिहास और मानव विज्ञान है इसके बाद आगे जाकर 1916 में तीसरे शोध कार्य के रूप में इससे पहले दो और शोध कार्य कर चुके थे, लेकिन इस साल उन्होंने इवोल्यूशन आफ प्रोविजनल फाइनेंस इन ब्रिटिश इंडिया के लिए अर्थशास्त्र में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की और इसके बाद इस शोध कार्य के लिए 1917 में उन्हें अधिकृत रूप से पीएचडी प्रदान की गई। इसके बाद 1917 लंदन चले गए।  

डॉ भीमराव अंबेडकर ने बैरिस्टर की पढ़ाई कहां की ( Where did Dr. Bhimrao Ambedkar study as a barrister ) 

डॉक्टर बी आर आंबेडकर ने आगे की पढ़ाई के लिए 1916 मे लंदन लंदन चले गए ग्रेज इन में बैरिस्टर कोर्स के लिए प्रवेश लिया साथ ही साथ लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में भी प्रवेश लिया आप ने डॉक्टरेट की थीसिस पर काम करना शुरू किया लेकिन किसी कारणवश 1917 में भी अपनी पढ़ाई को बीच में छोड़कर भारत लौटे कि इसी समय बड़ौदा से मिलने वाली छात्रवृत्ति को समाप्त कर दी गई। इसके बाद अपने एक पारसी मित्र के सहयोग से और कुछ खुद के बचत से एक बार फिर भी इंग्लैंड गए, और 1921 में विज्ञान विषय में एक बार फिर स्नातकोत्तर किया ( एमएससी
                             इसके बाद 1922 में आंबेडकर जी को ग्रेज इन ने बैरिस्टर एटलस की डिग्री प्रदान की और वे ब्रिटिश बार में बैरिस्टर के रूप में प्रवेश दिया गया और इसके बाद 1923 में आंबेडकर जी अर्थशास्त्री में डॉक्टरेट ऑफ साइंस की उपाधि प्राप्त की और उनकी इसी समय एक थिसिस इस " द प्रॉब्लम ऑफ द रूपी इट्स ओरिजन एंड इट्स सॉल्यूशन " पर काम चालू था।  

डॉक्टर बी.आर. अंबेडकर का वैवाहिक जीवन ( Dr BR Ambedkar married life )

डॉक्टर भीमराव आंबेडकर अपने जीवन में दो बार विवाह किए हैं उनकी पहली विवाह जब 15 वर्ष के थे 1906 में 9 साल की लड़की रमाबाई से शादी कराई आगे जाकर भीमराव आंबेडकर और रमाबाई की 5 बच्चे हुए जिसमें 4 पुत्र और पुत्री के पुत्रों का नाम क्रमशः  सहसवान रमेश राजारतन, गंगाधर थे वही पुत्री का नाम इंदु थी, लेकिन यशवंत को छोड़कर इन सभी की मृत्यु हो गई। इस समय आंबेडकर जी कक्षा पांचवी में पढ़ रहे थे यह विवाह इसलिए हुआ क्योंकि उस समय बाल विवाह का प्रचलन था। और इस बाल विवाह का प्रचलन भारत में ही नहीं बल्कि पूरे दुनिया में था भारत की बात करें तो भारत में 20% विवाह जो है बाल विवाह ही होता था आधे से ज्यादा लड़कियों की विवाह 18 वर्ष से कम उम्र में ही हो जाती थी।
                                                                     अंबेडकर जी ने दूसरी विवाह इसलिए किया क्योंकि रमाबाई लंबे समय से एक गंभीर बीमारी से ग्रस्त थे जिस कारण 1934 में उनकी निधन हो गई। इसके बाद आंबेडकर जी 1940 के आसपास संविधान के निर्माण में बहुत ज्यादा व्यस्त हो गए,नींद का अभाव होने लगा जिस कारण पैरों में न्यूरोपैथिक दर्द था और इसके लिए वह इंसुलिन और होम्योपैथिक दवाएं भी लेने लग गए इसके उपचार के लिए वह बांबे गए और वहां डॉक्टर शारदा कबीर से मिले इसके बाद 25 अप्रैल 1948 को नई दिल्ली में इन्हीं डॉक्टर शारदा कबीर से शादी कर लिए। और डॉक्टर शारदा कबीर ने बाद में अपना सरनेम और नाम दोनों बदल दिया और सविता आंबेडकर नाम अपनाया। सविता आंबेडकर का अन्य नाम माई या फिर माई साहब के नाम से भी प्रचलित थी। इसके बाद डॉक्टर सविता आंबेडकर की 93 वर्ष की आयु में 29 मई 2003 को नई दिल्ली के महरौली में निधन हो गई।

डॉ. बी.आर. अंबेडकर की पुस्तके एवं रचनायेँ -

भीमराव आंबेडकर पढ़ाई में बहुत रुचि रखते थे इन सबके साथ हुए लिखने में भी बहुत अधिक रूचि रखते थे इसलिए अपने राजगृह मुंबई में ग्रंथालय का निर्माण करवाया था जहां उन्होंने 50000 से भी अधिक पुस्तकें रखी थे। पुस्तकों में उन्होंने देश में दलितों की स्थिति आज देश की समस्याओं का वर्णन किया। भीमराव आंबेडकर जी को 11 भाषाओं का ज्ञान था लेकिन उनकी अधिकांश रचनाएं अंग्रेजी में है उन 11 भाषाओं में मराठी उनकी मातृभाषा था, इसके अलावा अंग्रेजी, हिंदी, पाली, संस्कृत, गुजराती, जर्मन, फारसी, फ्रेंच, कन्नड़ और बंगाली भाषा सम्मिलित है। उनके एक थीसिस  द प्रॉब्लम ऑफ द रूपी इट्स ओरिजन एंड इट्स सॉल्यूशन " से भारत में केन्द्रीय बैंक अर्थात भारतीय रिसर्व बैंक का स्थापना हो सका है। 
                                                                                डॉक्टर बी आर आंबेडकर की पुस्तकें की बात करें तो उन्होंने तो बहुत सारे पुस्तकें लिखी हैं लेकिन कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकों के नाम नीचे दी गई है-
  • द प्रॉब्लम ऑफ द रूपी इट्स ओरिजन एंड इट्स सॉल्यूशन
  • फेडरेशन वर्सेस फ्रीडम
  • द पाली ग्रामर
  • द कैबिनेट मिशन एंड द अनटचेबल्स
  • डिक्शनरी ऑफ पाली लैंग्वेज
  • इंडिया एंड कम्युनिज्म
  • द बुद्धा एंड कार्ल मार्क्स
  • द बुद्ध एंड हिस धम्मा
  • कम्युनल डेड लॉक एंड आवे 2 साल्व इट

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने किन किन पदों का कार्यभार संभाला ( Which posts did Dr. Bhimrao Ambedkar take over )

डॉक्टर भीमराव आंबेडकर अपने जीवन काल में कई पदों का कार्यभार संभाला कुछ प्रमुख पदों का विवरण कुछ इस प्रकार है-
  • डॉक्टर भीमराव आंबेडकर सबसे पहले बॉम्बे राज्य के राज्य सभा के सदस्य बने और उनका कार्यकाल 3 अप्रैल 1952 से 6 दिसंबर 1956 तक रहा उस समय तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद और तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु रहे।


  • इसके बाद दूसरे बाद डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने कानून मंत्री और न्याय मंत्री का पद ग्रहण किया आर्य भारत का प्रथम कानून मंत्री और न्याय मंत्री का पद संभाले।इस समय 15 अगस्त 1947 से सितंबर 1951 के बीच का रहा और इस समय में तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू रहे।

  • इसके बाद 29 अगस्त 1947 से 24 जनवरी 1950 के बीच भारतीय संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किए।

  • इससे पहले डॉक्टर भीमराव आंबेडकर जुलाई 1942-1946 के बीच श्रम मंत्री वायसराय की कार्यपरिषद में भी कार्य किए।
उपर्युक्त पदों के अलावा भी और कई ऐसे पद हैं जिनका पद ग्रहण डॉक्टर भीमराव आंबेडकर अपने जीवन काल में किए।

डॉक्टर भीमराव आंबेडकर को प्राप्त पुरस्कार और सम्मान (  Awards and honors received by Dr. Bhimrao Ambedkar ) 

डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने अपने जीवन काल में कई सम्मान अर्जित किए जैसे-
  •  बोधिसत्व पुरस्कार से सम्मानित हुए 1956 में ,

  • इसके बाद 1990 में भारत रत्न से सम्मानित हुए, । ( यह सम्मान उन्हें मरणोपरांत दिया गया )

  •  इसके बाद 2004 में पहले कोलंबियन अहेड आफ देयर टाइम, ( यह सम्मान उन्हें मरणोपरांत दिया गया )

  • इसके अलावा द ग्रेटेस्ट इंडियन का पुरस्कार 2012 में प्राप्त किया। ( यह सम्मान उन्हें मरणोपरांत दिया गया )

संविधान निर्माण में डॉक्टर भीमराव आंबेडकर का योगदान  ( Contribution of Dr. Bhimrao Ambedkar in constitution making  )

जब देश आजाद ( 15 अगस्त 1947 ) हुआ तो उस समय कांग्रेस के नेतृत्व वाली नई सरकार ने आंबेडकर जी को देश के पहले कानून मंत्री और न्याय मंत्री के रूप में सेवा करने के लिए आमंत्रित किया और आंबेडकर जी ने उनका आमंत्रण स्वीकार किया।29 अगस्त 1947 को अंबेडकर को स्वतंत्र भारत के नए संविधान की रचना के लिए बनी संविधान की मसौदा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया और शुरुआत से ही आंबेडकर जी बुद्धिमान थे इसलिए उन्होंने संविधान का अध्ययन किया भारतीय संविधान के पिता के रूप में ख्याति प्राप्त किए।

डॉक्टर भीमराव आंबेडकर का निधन कब हुआ ( When did Bhimrao Ambedkar died )  

डॉक्टर भीमराव आंबेडकर को सन 1948 में पता चला कि आंबेडकर जी को मधुमेह है, इसके बाद उनकी तबीयत 1954 तक बहुत खराब हो गई और इस दौरान वे अपनी दृष्टि को भी लगभग लगभग खो चुके थे। इस दौरान लगातार राजनीतिक काम रहने के कारण वह और कमजोर होते चले गए,भगवान बुद्ध और उनके धम्म को पूरा करने के 3 दिन बाद 6 दिसंबर 1956 को आंबेडकर का महापरिनिर्वाण नींद की अवस्था में दिल्ली में उनके घर में हो गया। इस समय उनकी आयु 64 वर्ष और 9 महीने का था । बाबासाहेब आंबेडकर के निधन के बाद उनके परिवार में उनकी दूसरी पत्नी सविता आंबेडकर रह गई थी आर्य पहली महिला थी जो दलित आंदोलन के बाद बौद्ध बनने वाली महिला थी। और इनकी निधान 94 वर्ष की आयु में 29 मई 2003 को हुआ।



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