भारतीय मलयालम कवियत्री बालामणि अम्मा का जीवन परिचय | बालामणि अम्मा गूगल डूडल

* " ज्ञान की बात " *
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हमारे देश में एक से बढ़कर एक कवियत्री हुई जिन्होंने अपने लेखन कार्य से देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी अपनी जगह बनाई और अपनी कविता के माध्यम से लोगों की दिलों में राज कर रहे हैं और आज भी याद किए जाते हैं। अब चाहे वह सरोजिनी नायडू हो सुभद्रा चौहान हो अमृता प्रीतम हो कमला सुरय्या हो या फिर महादेवी वर्मा हो,लेकिन आज इस लेख के माध्यम से मैं आपको एक ऐसे मलयालम साहित्यकार के बारे में बताने वाला हूं जिन्होंने देश की कला और संस्कृति को पूरे दुनिया में प्रतिष्ठित कर भारतीय कवियत्री की मान सम्मान को विदेशों में फैलाया है जिनका नाम बाल मणि अम्मा है, बाल मणि अम्मा एक मलयालम साहित्यकार हैं जिसके जीवन परिचय के बारे में आज के इस लेख में विस्तार से चर्चा करेंगे।

क्यों है चर्चा में :-

बता दे बाल मणि अम्मा एक मलयालम साहित्यकार है। बाल मणि अम्मा का जन्म 19 जुलाई 1990 को ब्रिटिश भारत के मालाबार जिले के पुनानी तालुके पुन्नयूरकुलम में हुआ था। इस मौके पर आज 19 जुलाई 2022 को गूगल ने एक खास डूडल लगाकर बाल मणि अम्मा को उनके 113वें जन्मदिवस पर याद करके उन्हें श्रद्धांजलि दी है। इस गूगल डूडल को केरल की कलाकार देविका रामचंद्रन ने तैयार किया है। बाल मणि अम्मा को मलयालम साहित्य की दादी कहा जाता  है।

बाल मणि अम्मा का जीवन परिचय :-

बाल मणि अम्मा का जन्म वर्तमान केरल के त्रिशूल जिले में 1909, 19 जुलाई को हुआ था। बालमणि अम्मा को मलयालम साहित्य की दादी कहां जाता है।

बाल मणि अम्मा की शिक्षा :--

माल मणि अम्मा औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं हुई है बाला मढ़ी अपने मामा से काफी कुछ सीखें और उन्हीं के पुस्तकालय से अपने ज्ञान को बढ़ाया और कभी बनने का सफर शुरू किया आर बाद में बालामणि अम्मा दुनिया में प्रसिद्ध कवियों में शामिल हो गई।

बालामणि अम्मा को प्राप्त सम्मान :-

बालामणि अम्मा अपने जीवन काल में लेखन के दौरान कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए थे। बालामणि अम्मा को साहित्य निपुण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।इसके अलावा बालामणि अम्मा को भारत के तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्मभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है

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बालामणि अम्मा की प्रमुख रचनाएं ( Major Works of Balamani Amma ) :-  

बालामणि अम्मा मलयालम से अपनी कविताएं लिखना शुरू की थी और उनकी जो कविता है वह पूरे दक्षिण भारत में प्रसिद्ध है। बालामणि अम्मा की पहली कविता साल 1930 में प्रकाशित हुई जब वह महज 21 वर्ष की थी उनकी पहली कविता का नाम है कोपूकाई । बालामणि अम्मा की कुछ प्रमुख प्रसिद्ध है कविताएं कुछ इस प्रकार है- अम्मा (मां), मुथस्सी (दादी), मजूविंते कथा (द स्टोरी ऑफ द कुल्हाड़ी)।

बालामणि अम्मा का निधन कैसे और कब हुआ :-

भारतीय मलयालम कवियत्री बालामणि अम्मा कि निधन अल्जाइमर नामक रोग से हुआ। इस रोग से बालामणि अम्मा 5 साल तक लड़ते रहे और 29 सितंबर 2004 को उनका निधन हुआ। निधन के बाद राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।

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