Twin Towers : कौन है इसके सुपर हाईटेक बिल्डिंग के मालिक | कितना नुकसान हुआ है इसके मालिक को | आखिर क्यों तोड़ा गया इस गगनचुंबी इमारत को

* " ज्ञान की बात " *
0

 

Twin Towers

                           Twin Towers Owner And History

28 अगस्त 2022 की दोपहर 2:30 में हुए इस धमाके से लोगों के मन में एक ही सवाल है कि आखिर इस धमाके से टूटने वाली मंजिल ट्विन टावर का मालिक कौन है आखिर इस ट्विन टावर को गिराया क्यों गया? क्या है इस टावर से जोड़ी कहानी जिस वजह से सुप्रीम कोर्ट ने इस 32 मंजिला गगनचुंबी इमारत को मिट्टी में मिलाने की आदेश जारी किया।इस लेख के माध्यम से ट्विन टावर से जुड़े सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करके आपको इस घटना से संबंधित पूरी जानकारी देने का प्रयास रहेगा आखिर कौन है इस गगनचुंबी इमारत के मालिक।

ट्विन टावर चर्चा में क्यों है ( Why is the Twin Towers in the news ) :-

हाल ही में 28 अगस्त 2022 को दोपहर 2:30 में इस बिल्डिंग को महेश 9 सेकंड में 32 मंजिला इमारत को मिट्टी में मिला दिया गया। तब से हम सबके मन में एक ही सवाल आ रहा है कि आखिर इस बिल्डिंग को गिराया क्यों गया और कौन है इसके मालिक। ज्ञात हो भले ही यह ट्विन टावर अभी चर्चा में आया हो लेकिन यह मुद्दा साल 2009 से चलता रहा है। और इसके गिरने से हम सबके मन में तरह-तरह के सवाल उठने लगे।

क्या है ट्विन टावर ( What is twin tower ) :-

ट्विन टावर एक 32 मंजिला गगनचुंबी फ्लाइट है। यें लोगों के रहने के लिए तैयार किया गया गगनचुंबी 32 मंजिला इमारत है।यह 32 मंजिला इमारत नोएडा के सेक्टर 93A में स्थित सुपरटेक ट्विन टावर के नाम से जाना जाता है। इस ट्विन टावर में दो बिल्डिंग है जहां एक 32 मंजिला और दूसरा 29 मंजिला है दोनों को संयुक्त रूप से ट्विन टावर कहा जाता है।

ट्विन टावर का इतिहास क्या है ( What is the history of Twin Towers ) :-

ट्विन टावर का इतिहास 23 नवंबर 2004 से शुरू होता है तत्कालिक नोएडा अधिकारी ने सेक्टर 93a में स्थित प्लॉट नंबर 4 को एमराल्ड कोर्ट के लिए आवंटित किया गया था। इसके बाद इस प्लॉट नंबर 4 में ग्राउंड फ्लोर समेत 9-9 मंजिल के 14 टावर बनाए जाने की घोषणा किए।

इसके बाद साल 2006 में 29 दिसंबर को इस एमराल्ड कोर्ट के अनुमति में संशोधन किया गया और नोएडा अथॉरिटी ने संशोधन करके सुपरटेक को 9 मंजिल की जगह 11 मंजिल की बिल्डिंग बनाने की अनुमति दी और 14 टावर के स्थान पर 15 टावर बनाने की अनुमति दी गई।

साल 2009 में फिर इन टॉवर्स और मंजिलों की संख्या को 26 नवंबर को नोएडा अथॉरिटी ने बढ़ाया और इसके बाद अब मंजिलों की संख्या 16 कर दी गई और टावरों की संख्या 17 करने का एक नया नक्शा तैयार किया गया।

इसके बाद लगातार नोएडा अथॉरिटी ने मंजिल और टावर की संख्या में बढ़ोतरी करता रहा।

ट्विन टावर के मालिक कौन है ( Who Is The Owner Of Twin Tower ) :-

 इस 32 मंजिला ट्विन टावर को बनाने वाली कंपनी का नाम सुपरटेक लिमिटेड है एमराल्ड कोर्ट परियोजना ने इस  भवन को बनाने वाली कंपनी को 1995 में गैर सरकारी कंपनी घोषित कर दिया था। स्क्रीन चमक को बनाने वाली कंपनी सुपरटेक लिमिटेड के फाउंडर आरके अरोड़ा है, आरके अरोड़ा के पास ऐसी 34 कंपनियां है वहीं 1999 में आरके अरोड़ा की पत्नी संगीता अरोड़ा ने एक नई कंपनी बनाई जिसका नाम सुपर टेक बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड है। आगे जाकर इसने अपने बेटे को भी इसी क्षेत्र में उतारा।

आरके अरोड़ा भारत के 12 बड़े बड़े शहरों में ऐसे कई प्रोजेक्ट तैयार किए हैं जैसे नोएडा ग्रेटर नोएडा दिल्ली एनसीआर सहित देश के 12 शहरों में रियल स्टेट प्रोजेक्ट लॉन्च किए हैं। इसके साथ ही आरके अरोड़ा ने अपने बेटे मोहित अरोड़ा को भी इस फील्ड में उतारा और उसके साथ मिलकर पावर जनरेसन बिलिंग सेक्टर और डिस्ट्रीब्यूशन का भी काम शुरू किया इसके अतिरिक्त सुपर टेक एनर्जी एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी भी बनाई।

आखिर क्यों गिराया गया ट्विन टावर को ( Why was the Twin Tower demolished) :-

इस गगनचुंबी इमारत को धूल में मिलाने की कहानी 2 मार्च 2012 को जहां मंजिलों की संख्या 16 और टावरों की संख्या 17 थी,इस पर एक बार फिर संशोधन करके 40 मंजिल तक इस टावर को बनाने की अनुमति नोएडा अथॉरिटी ने दी और इसकी अधिकतम ऊंचाई 121 मीटर तय की गई। इसके साथ ही दोनों टावरो की बीच 9 मीटर की दूरी रखी गई जो बिल्कुल गलत था इस दूरी को 16 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए। 
                                                                                                                            इसके अतिरिक्त सुपरटेक को 13.5 एकड़ जमीन दी गई थी इस परियोजना के लिए जिसमें 90% हिस्से में इस फ्लैट को बनाना था और बाकी 10% हिस्से को ग्रीन जोन बनाना था। लेकिन हुआ इसके विपरीत 1.6 हिस्सा में बिल्डिंग 2009 तक निर्मित हो चुका था। आरिफ पूरे परिवेश ना के तहत 900 परिवार को 12 एकड़ के बिल्डिंग में बस आना था लेकिन सुपर टेट ने 1.6 एकड़ में ही 900 परिवार को बसाने के लिए गगनचुंबी इमारत तैयार किया था।
                                                                                                                 इसके बाद साल 2009 में फ्लैट बायर्स आरडब्ल्यू बनाया गया। और सुपरटेक के द्वारा निर्मित ट्विन टावर के खिलाफ  आरडब्ल्यू ने नोएडा अथॉरिटी के पास शिकायत दर्ज कराया। लेकिन नोएडा अथॉरिटी ने इस पर कोई सुनवाई नहीं किया। इसके बाद आरडब्ल्यू मैं इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां साल 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस गगनचुंबी इमारत को तोड़ने का आदेश दिया।

हाई कोर्ट से मामला सुप्रीम कोर्ट क्यों पहुंचा ( Why did the matter reach the Supreme Court from the High Court) :-

साल 2014 में जब इस ट्विन टावर कोड तोड़ने का आदेश जारी हुआ तो सुपर टेक कंपनी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा इसके बाद 7 साल तक सुप्रीम कोर्ट में केस चलता रहा। और सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और सुप्रीम कोर्ट ने 3 महीने के अंदर ट्विन टावर को गिराने का फैसला दिया।

ट्विन टावर कब तोड़ा गया ( When was the Twin Towers demolished) :-

साल 2021 के 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इस इमारत को तोड़ने का आदेश दिया था, लेकिन यह इमारत टूटते टूटते बच गया। लेकिन थोड़ा देर ही सही अंततः गगनचुंबी इमारत को 28 अगस्त 2022 को दोपहर 2:30 में रिमोट के एक बटन को क्लिक करके ध्वस्त कर दिया गया।

ट्विन टावर को तोड़ने में कितना खर्च आया ( How much did it cost to demolish the Twin Towers ) :-

लगभग 200 करोड़ से भी ज्यादा की लागत से तैयार इस गगनचुंबी twin-towers को तोड़ने में सरकार को लगभग 20 करोड़ की खर्चा आंकी गई है। जबकि इस इमारत की मौजूदा कीमत लगभग 800 करोड़ रूपया की गई है। इस टावर को गिराने के लिए 3700 किलो विस्फोटक लगाया गया था। इस बिल्डिंग से लगभग 60 से 70 मीटर दूर एक रिमोट रखा गया था।




एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

PLEASE DO NOT ENTER ANY SPAM LINK IN THE COMMENT BOX

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!